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कविता संग्रह >> बोलना सख्त मना है

बोलना सख्त मना है

पंकज मिश्र अटल

प्रकाशक : बोधि प्रकाशऩ प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16031
आईएसबीएन :9789385942099

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नवगीत संग्रह

गीत-क्रम

 

1. अब नहीं थमते

2. तकनीकी हुए कल्चर

3. लड़ना पड़ा उसको

4. बस दर्द ही पाते

5. प्रश्न खड़े पाये

6. आज आँकने लगे

7. सब हुए बहरे

8. उसूल रहे हम

9. टुक-टुक तकते हैं

10. पर्दा डालें लोग

11. चुप्पियां पीते हैं

12. प्रश्न हवाओं में

13. अर्थ आघात हुए

14. ऋचाओं में कथानक

15. फंस गया कोई

16. सवेरा आज बौना लग रहा

17. अर्थ भी हैं क्रूर

18. उत्तर नहीं मिला

19. केवल मिली दुआ

20. दृष्टि तक जाना

21. बार-बार ये लिखा

22. वे कबंध हैं

23. बस प्रश्न और प्रश्न

24. बिखराव ही महज नहीं

25. क्षितिज गूंगे हो गए सारे

26. बंटते हैं किरचों में

27. कांच की ये खिड़कियां हैं

28. यूं ही उछल गया

29. दर्पण नहीं हुआ

30. आंखें क्या पढ़ती

31. कांच से रिश्ते

32. बोलना सख्त मना है

33. सांझ अर्थहीन हो गयी

34. कितने तृषित रहे

35. सब कुछ छूट गया

36. उड़े हवाओं संग

37. फीके अर्थ हुए

38. क्षितिजों के चेहरों पर

39. जो भी बौने दिखते हैं

40. दीवारें कांच की

41. संवाद न हो पाता है

42. भागते गए

43. मन खरा नहीं

44. अभिव्यक्त न कर पाए

45. बौने संबंध हुए

46. घुटती सीमायें हैं

47. प्रश्न हैं धुंधले

48. कट गए डैने

49. आकाश सारा शेष

50. संदर्भ रीते हो गए

51. बदली नहीं वे संहितायें

52. आज हुए अर्थ बिन

53. कथानक बहके हैं

54. भीड़ भागती बचके है

55. ये भूमिकायें

56. ले हाथ में ज्ञापन

57. बदलते जा रहे प्रतिमान

58. सभी ये आकलन

59. हो रहे हैं संकुचित आंगन

60. तट नदी के

61. बहकी हवायें क्यों?

62. फिर भी चटख रहे

63. आज हवायें

64. चुपचाप अब कोहरे

65. पन्ना-पन्ना गला हुआ

66. पंख पीढ़ी के

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    अनुक्रम

  1. गीत-क्रम

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